सूर्य
रोशनियों की लड़ी है
मृत्यु के आलोक में
कितने चन्द्र
गिरने को हैं
रात के नक्षत्रा से?
तुम पाँव रखोगी पुल पर
जिसे मैंने
पानी से बनाया है
एक स्वप्न की कगार से
मैं देखूँंगा
सूर्य
रोशनियों की लड़ी है
मृत्यु के आलोक में
कितने चन्द्र
गिरने को हैं
रात के नक्षत्रा से?
तुम पाँव रखोगी पुल पर
जिसे मैंने
पानी से बनाया है
एक स्वप्न की कगार से
मैं देखूँंगा