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रोहित / सुतपा सेनगुप्ता

रोहित

पता है?
मैंने बहुत पहले ही तुम्हें देख लिया था
हथेलियों की छुअन पाने के भी
बहुत पहले

वे लोग तुम्हें नादान कहते थे
वे तुम्हें सर्वनाश भी कहते हैं

नाख़ून की नन्हीं परिधि में
उभर आए जवाकुसुम

धीवर, तुम्हारे मारण-जाल में
बहुत वर्षों पहले
चुपके से मैंने
एक छेद कर दिया था!

मूल बँगला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी