रोही की पुकार हो तुम
मुझे सम्बोधित नहीं चाहे
सुन तो रहा हूँ तुम को
भर तो रहा हूँ तुम से
मैं जो रोही का सूनापन हूँ।
(1987)
रोही की पुकार हो तुम
मुझे सम्बोधित नहीं चाहे
सुन तो रहा हूँ तुम को
भर तो रहा हूँ तुम से
मैं जो रोही का सूनापन हूँ।
(1987)