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रौरव नरक-कुंड में / महेन्द्र भटनागर


रौरव नरक-कुंड में
मर-मर जीना कैसा लगता है

कोई हमसे पूछे!

सोचे-समझे, मूक विवश बन
विष के पैमाने पीना कैसा लगता है

कोई हमसे पूछे!

हृदयाघातों को सह कर हँस-हँस
अपने हाथों, अपने घावों को
सीना कैसा लगता है

कोई हमसे पूछे!