औरत मेज़ के सामने खड़ी हो गई। उसके उदास
हाथ चाय के लिए नींबू के पतले टुकड़े
काटना शुरू करते हैं जैसे वे किसी बच्चे की परीकथा की
एक नन्हीं सी गाड़ी के पहिये हों।
उसके सामने एक नौजवान अफसर एक पुरानी हत्थेवाली
कुर्सी में धंसा है।
वह उसकी तरफ़ नहीं देखता। वह अपनी सिगरेट
सुलगाता है।
माचिस की तीली पकड़े उसका हाथ काँपता है जिसकी रोशनी
पड़ती है उसकी कोमल ठुड्डी और चाय के प्याले
के हत्थे पर।
क्षण-भर के लिए घड़ी की धड़कन रुक जाती है।
कुछ है जो स्थगित हो गया है। वह क्षण जा चुका है।
अब बहुत देर हो चुकी है। चलो अपनी चाय पियें।
तब क्या मुमकिन है कि मृत्यु इसी तरह की
गाड़ी में आये ?
इधर से गुज़रे और चली जाये ? और बस अपने नींबू के
पहियों वाली यह गाड़ी रह जाये
जो इतने बरसों से बुझी हुई बत्तियों वाली एक गली में
खड़ी है ?
और फिर एक छोटा-सा गीत, हल्की सी धुंध,
और फिर कुछ नहीं ?
अंग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल