धरती
है आकाश पर
प्रेम टिका
विश्वास पर ।
जब से
चाँद हुआ है
ओझल
तब से
नज़र
पलास पर।
सबकी
आँखें
इधर-उधर
उनकी
टिकी गिलास पर ।
लघु
आलोचक
बरस रहा है
बाबा
तुलसीदास पर।
धरती
है आकाश पर
प्रेम टिका
विश्वास पर ।
जब से
चाँद हुआ है
ओझल
तब से
नज़र
पलास पर।
सबकी
आँखें
इधर-उधर
उनकी
टिकी गिलास पर ।
लघु
आलोचक
बरस रहा है
बाबा
तुलसीदास पर।