लड़के ने बेहद ग़लत किया, सख़्त पत्थर को तोड़कर
आदमी था नरम स्वभाव का, काटकर बिखरा सकता था ।
आदमी था लड़का, बन्धा हुआ लड़का, जीवन बन्धा हुआ था खिड़की में
पत्थर काटकर राह बनाना, हुआ है इसीलिए व्यर्थ ।
अपने ही दोनों हाथों से अपना गला दबाकर मृत्यु का वरण करना
दिमाग में कीड़ा था, उन्हें लौटाने का जितना भी हो अभ्यास पर
लड़के ने बेहद ग़लती की है, सख़्त पत्थर को तोड़कर
आदमी था नरम स्वभाव का, काटकर बिखरा सकता था ।
राह की खोज राह ही जाने, मन की बातों में लीन
आदमी बड़ा सस्ता है, काटकर बिखरा ही सकता था ।
मीता दास द्वारा मूल बांग्ला से अनूदित