मेरे अंदर की
अबोध लड़की
चुपचाप खिसक गई
जाने कहां
कविताओं में अपने को
अभिव्यक्त कर पाने में असमर्थ
फूट-फूट कर रो रही हूं मैं यहां!
मेरे अंदर की
अबोध लड़की
चुपचाप खिसक गई
जाने कहां
कविताओं में अपने को
अभिव्यक्त कर पाने में असमर्थ
फूट-फूट कर रो रही हूं मैं यहां!