लड़ा नहीं है, अपनी मैंने जोट न पाई;
पुण्य प्रकृति की ललित कला ही मुझको भाई;
जीवन-अग्नि जलाई-मैंने देह तपाई,
मंद हुई वह अग्नि, बुझी, दो मुझे विदाई।
डब्ल्यू एस लेंटर की कविता का अनुवाद
रचनाकाल: १२-०८-५६
लड़ा नहीं है, अपनी मैंने जोट न पाई;
पुण्य प्रकृति की ललित कला ही मुझको भाई;
जीवन-अग्नि जलाई-मैंने देह तपाई,
मंद हुई वह अग्नि, बुझी, दो मुझे विदाई।
डब्ल्यू एस लेंटर की कविता का अनुवाद
रचनाकाल: १२-०८-५६