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लन्दन डायरी-10 / नीलाभ

स्मृति के आकाश पर

अब भी

एकाध भटक हुआ बवण्डर

मंडराता है


याद के पेड पर

कुछ पत्तियाँ

अब ही मौजूद हैं

जिन्हें तेज-से-तेज आंधी भी

झकझोर कर

उड़ा नहीं पाई