अपने मकान का छत्तीसवाँ दरवाज़ा खोल कर
मैं उतर आया हूँ शरीर के उत्सव में
नफ़रत और प्यार के फूलों से सजा हुआ
विश्वासघात - आती है आवाज़
अन्दर से नशे की धुन्ध को चीर कर
अपने मकान का छत्तीसवाँ दरवाज़ा खोल कर
मैं उतर आया हूँ शरीर के उत्सव में
नफ़रत और प्यार के फूलों से सजा हुआ
विश्वासघात - आती है आवाज़
अन्दर से नशे की धुन्ध को चीर कर