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लमहा / महेन्द्र भटनागर

एक लमहा
सिर्फ़ एक लमहा
एकाएक छीन लेता है
ज़िन्दगी!
हाँ, फ़क़त एक लमहा।
हर लमहा
अपना गूढ़ अर्थ रखता है,
अपना एक मुकम्मिल इतिहास
सिरजता है,
बार - बार बजता है।
इसलिए ज़रूरी है _
हर लमहे को भरपूर जियो,
जब-तक
कर दे न तुम्हारी सत्ता को
चूर - चूर वह।
हर लमहा
ख़ामोश फिसलता है
एक-सी नपी रफ्तार से
अनगिनत हादसों को
अंकित करता हुआ,
अपने महत्त्व को घोषित करता हुआ!