मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
लयलाह लंका उजाड़ि
दया हनुमान जी के
छोटे-छोटे पयर छनि
सोना के खड़ाम छनि
बएह छथि वीर हनुमान
दया हनुमान जी के
ककरहुँ डारि पात
ककरहुँ मूल फल
ककरहुँ सीड़ सहित
दया हनुमानर जी के
रामचन्द्र के डारि-पात
लछुमन के मूल फल
दशरथ के सीड़ सहित
दया हनुमान जी के
सभ केओ कहनि बनरा रे बनरा
सीता कहथि वीर हनुमान
दया हनुमान जी के