लाज रखो तुम मेरी प्रभूजी। लाज रखो तुम मेरी॥ध्रु०॥
जब बैरीने कबरी पकरी। तबही मान मरोरी॥ प्रभुजी०॥१॥
मैं गरीब तुम करुनासागर। दुष्ट करत बलजोरी॥ प्रभुजी०॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुम पिता मैं छोरी॥ प्रभुजी०॥३॥
लाज रखो तुम मेरी प्रभूजी। लाज रखो तुम मेरी॥ध्रु०॥
जब बैरीने कबरी पकरी। तबही मान मरोरी॥ प्रभुजी०॥१॥
मैं गरीब तुम करुनासागर। दुष्ट करत बलजोरी॥ प्रभुजी०॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुम पिता मैं छोरी॥ प्रभुजी०॥३॥