मेरी यादोँ के धुंध के पार पिता की बैठक में
रखी वह लालटेन है
जो देर तक जलती रहती थी
जब तक बचा रहता था उसमे तेल
उन दिनों इतना महँगा नहीं हुआ था किरासन
ईराक में बचे थे बेबीलोन सभ्यता के अवशेष
इमरजेंसी लाईट में जब मैं अपनी बैठक में
जोड़ रही हूँ बातों के सूत्र फिर से
मुझे याद आ रही है उस लालटेन की
इन दिनों रोशनी के आतंक में
अक्सर तिरोहित हो जाती है
शब्दों की रोशनी
जिसे हम साफ़-साफ़ देखते है
उसे क्या कभी देख पाए साफ़-साफ़
मद्धिम रोशनी मे केवल चीज़े ही नहीं दिखतीं
उसमे डूबता-उपराता अपना चेहरा भी
कई बार हम भी एक दृश्य हो जाते हैं
दृश्यों के आर-पार
अपनी ही नजर में
लालटेन की रोशनी में हम शुरू हुए
पल-पुस कर न जाने कब कैसे चले आये
टहलते-दौड़ते नियाँन लाईट के युग में