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लालटेन / राजा खुगशाल

अंधेरी रातों में

इसके उजाले में

पहाड़े रटते थे हम

बैलों के रस्से बटते थे--


डूंगर काका

इसके उजाले में

सीखे थे हमने

वर्णमाला के अक्षर

इर्द-गिर्द होता रहा था

गृहस्थी का हिसाब

जीवन का जोड़-घटाव


इसके उजाले में

ऊंघे थे सपने

सो कर जगे थे हम

दिन भर टंगी रहती थी

खूँटी पर

हमारे जीवन के

जंग की लालटेन

पीतल की काली लालटेन


दुनिया की दूसरी बड़ी लड़ाई के टैम पर

इसे पिता सात समन्दर पार से लाए थे ।