Last modified on 23 अक्टूबर 2013, at 16:04

लालसा / शशि सहगल

मुक्ति के प्रश्न पर
उठते रहे हैं बहुत सवाल
और मिले हैं अधूरे जवाब
मुझे लगता है
पूर्णता मुक्ति है
पर पूर्ण क्या है?
ज़िन्दगी की बहुत अहम चीज़ों को
हम छू तक नहीं सकते
न प्रेम को, न मौत को
न खुशी को, न ग़म को
जिनका स्पर्श हम कर पाते हैं
वे होती हैं बहुत मामूली चीज़ें
कपड़े, गहने और मकान
जो देती है हमें
पूर्णता का भ्रम।