Last modified on 11 फ़रवरी 2018, at 15:16

लिखो फिर से नई इबारत / अनुपमा तिवाड़ी

लिखो फिर से
नई इबारत,
अपने होने की
जाँचते रहना उसे,
जो लिखा
तुमने अभी तक
क्योंकि कहीं-कहीं जो तुमने बोला
उसे लिखा नहीं
लिखना होता है सदैव बाद में
लिखा, प्रमाण होता है
ये ज़िन्दगी भी कुछ ऐसी ही है
तुम बोलते हो
यह लिखती है
दिन-दिन दर पन्ना-पन्ना
ज़िन्दगी के पन्नों को लोग बाँचते हैं
इसलिए, अपने बोलने से ज्यादा
इसे लिखने देना
चिंता मत करना
यह तुम्हारे संकेत भर को समझ लेगी
वह गलत कभी नहीं लिखेगी
वह जिंदगीनामा लिखती है
चुप रहती है
पर बहुत बोलती है!