लिपट गयी जो धूल
लिपट गयी जो धूल पांव से
वह गोरी है इसी गांव की
जिसे उठाया नहीं किसी ने
इस कुठांव से।
ऐसे जैसे किरण
ओस के मोती छू ले
तुम मुझको
चुंबन से छू लो
मैं रसमय हो जाऊँ!
लिपट गयी जो धूल
लिपट गयी जो धूल पांव से
वह गोरी है इसी गांव की
जिसे उठाया नहीं किसी ने
इस कुठांव से।
ऐसे जैसे किरण
ओस के मोती छू ले
तुम मुझको
चुंबन से छू लो
मैं रसमय हो जाऊँ!