शांति से
रक्षा न हो,
तो युद्ध में
अनुरक्ति दे
लेखनी का
धर्म है,
युग-सत्य को
अभिव्यक्ति दे !
छंद-भाषा-भावना
माध्यम बने
उद्घोष का
संकटों से
प्राण-पण से
जूझने की शक्ति दे !
शांति से
रक्षा न हो,
तो युद्ध में
अनुरक्ति दे
लेखनी का
धर्म है,
युग-सत्य को
अभिव्यक्ति दे !
छंद-भाषा-भावना
माध्यम बने
उद्घोष का
संकटों से
प्राण-पण से
जूझने की शक्ति दे !