लेनिन
एक व्यक्ति था पहले,
नामों में एक नाम था पहले,
सबकी जबान पर चढ़ा।
लेनिन
अब हो चुका है
अवनी और आकाश-
पवन-पानी और प्रकाश।
लेनिन
नहीं है-नहीं है
पत्थर की एक मूर्त्ति,
तोड़ दे जिसे कोई
लेनिन
नहीं है-नहीं है
रेखांकित एक चित्र,
फाड़ दे जिसे कोई।
लेनिन
सूर्य है सूर्य
सत्य की रश्मियों का
सूर्य,
असत्य को भेद रहा
सूर्य!
रचनाकाल: २१-०१-१९९१