Last modified on 3 नवम्बर 2008, at 20:20

ले देकर एक / हरीशचन्द्र पाण्डे

कोई नहीं बच पाया इस असाध्य रोग से कहा उसने

वो नहीं बचा इलाहाबाद का और लखनऊ का वो
और वो तो दिल्ली जा कर भी नहीं बच पाया
और तो और मन्त्रीजी नहीं बच पाये लन्दन जाकर

उसने दस-बारह ऐसे और रोगियों के नाम लिये
फिर रोगी की ओर निराशा से देख कर धीमे से कहा
-बच नहीं पाएगा ये

दस-बारह क्या सैकड़ों रोगी थे उस असाध्य रोग के और
जो बच नहीं पाये थे

लेकिन पास ही खड़े उनके मित्र को याद नहीं आये वे सब
उसने कहा बनारस में हैं मेरे एक घनिष्ठ
जो पीड़ित थे इसी असाध्य रोग से
बहुत ही बुरी दशा थी उनकी
वे ठीक हो गये बिल्कुल और दस साल से ठीक-ठाक हैं
उसने रोगी की ओर देख कर कहा
-ये भी ठीक हो जाएगा

वही नहीं, जहाँ जो असाध्य रोगी मिला
उसने उससे यही बात कही कि बनारस में....

उसके पास ले-देकर एक उदाहरण था