दो के दूने चार
नहीं होने के भाई
लिये पुराना
व्यर्थ पहाड़ा
रट्टा मारा करता है
पेनड्राइव की
धरती पर हम
लैपटॉप की
दुनिया देखे
मोबाइल को
पीछे छोड़े
कम्प्यूटर पर
रखते लेखे
सबके चित की
चोरी करता
काश्मीर भी
आफत झेले
आँसे पीर
हमारी फिर भी
जीता-हारा करता है
डिजिटल भारत
लगे बनाने
गाँव वहीं पर
खड़े हुए हैं
लाचारी का
खुला निमंत्रण
देकर आगे बढ़े हुए हैं
रोके रुका समय
कब किससे
थ्री फोर जी की
दुनिया में
पुरखों वाले
आदिम युग के
चित्र संवारा करता है
-रामकिशोर दाहिया