चट्टानें सदा-सदा से
खड़ी हैं ऊँची और उत्तंग
लेकिन लोग तुम्हारे घर आए थे
तुम्हारे पैदा होने पर
जब भी
ज़रूरत होती है अचानक
तुम लोगों को बुला सकते हो
हवा को नहीं
और जब
निकट होगी मौत तुम्हारे
भिंसा पेड़ नहीं रोएगा
व्यथा से रोएँगे लोग
तुम लोगों के कंधों पर जाओगे
और फिर कभी यदि
तुम्हें याद करेगा कोई
तो वे लोग ही होंगे ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय