रेल के डिब्बे में
रात होते ही
गठरी हो जाता है आदमी
भीतर मैले कुचैले विचार समेटे हुए
किसी की टांगों पर
किसी का सर
या सर पर टांगे हों
तब भी
कोई बुरा नहीं मानता
टांग पसारने की
उपलब्धि हासिल होते ही
मुस्कुराता है आदमी
चलती है रेल।
रेल के डिब्बे में
रात होते ही
गठरी हो जाता है आदमी
भीतर मैले कुचैले विचार समेटे हुए
किसी की टांगों पर
किसी का सर
या सर पर टांगे हों
तब भी
कोई बुरा नहीं मानता
टांग पसारने की
उपलब्धि हासिल होते ही
मुस्कुराता है आदमी
चलती है रेल।