Last modified on 13 सितम्बर 2009, at 23:11

लौटती जनता / प्रेमशंकर रघुवंशी

वे, सड़क, पानी
बिजली को मुद्दा बनाते
और वे, मंदिर-मस्जिद को

और दोनों की
सभाएँ सुनकर लौटती जनता
पहले से ज़्यादा
गंजापन लिए
सिर पर हथेलियाँ फेरती-
घर लौट आती है।