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लौटना / राजेश कमल

इन्हीं क़दमों से
आबाद था कोई रास्ता
हमने भुला दिया
उसी रास्ते से थी पहचान हमारी
हमने भुला दिया

आज चौरी सड़कों की धूल
हमारे तलुए को गुदगुदाती है

एक बार
जब फिर लौटने की चाह ने
बेचैन किया
मैंने स्वप्न में देखा
पुरानी पगडंडियां हमसे पूछ रहीं है
तुम कौन?