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लौटाऽ द हमार गाँव / हर्षनाथ पाण्डेय

लौटा दऽ हमार बैलन के घंटी, हमार शकुंतली गाय
हमरा गीतन के तान हमार सभ्यता आ संस्कृति के मान
लौटा दऽ हमार जान
लौटा दऽ कोयिलया के कुहुक पपिहा के पिऊ पिऊ
आ सोन चिरईयां के सीताराम
लौटा द हमार कुल्ह समान
गौरया के चीं - चीं, दुध भरल कटोरा आ
कौआ मामा के कांव कांव
लौटा दऽ तोता तोती के रस भरल तान
लौटा दऽ हमर जंगल हमर हरियाली
दे दऽ हमरा सावन क रिमझिम
तहरा से कुछुवो ना चाहीं
हमार हरिना के चाल हमार बा इहे कहनाम
कि लौटा दऽ हमार बघवा के मनान
लौटा द हमार माटी वोला बडका दालान
एके संग खेत से आके रामायन पढत किसान
लौटा द हमार फेंडन के छांव
सिंदूरया ककरिअवा किरसईनियां आ लंगडा आम
लौटा दऽ हमार चान
लौटा दऽ हमार संझवत के दियरी हमर बंसवारी
गाँव के आहर पोखर पईन गडहा आ गडही
भरवा केराजनीति खेल रहल बाड
गरीबन के किसानन के मरे के विध लगवले बाडऽ
त्त सुन लऽ पानी नांबांची
त्त पानी नां बांची
लौटा दऽ हमरा जंगल के कुल्ह जडी बूटी
हमार बधार के गमक
लौटा द हमार बाग बगईचा आ
गंगा जमुनवा के निरमल पानी
लौटा द हमार भारत के अतित
सजावे के बा वर्त्तमान
लौटा दऽ बूढ़वा बरगदद पुरन का पीपर आ पाकड
नीम आ कदंब ठावें - ठांव
लौटा द हमार मंदिर के घंटी
मस्जिद के आज़ान
लौटा दऽ हमार गाँव
लौटा दऽ हमार गाँव
लौटा दऽ हमार गाँव।।