हे! शारदे माँ, हे! शारदे माँ
हंस वाहिनी वीणापाणि,
हे! वागेश्वरी आशीष दे माँ
लेखनी मेरी सँवार दे माँ।
उर में बहे प्रेम की गंगा
द्वेष घृणा का भाव न हो,
जग में फहरे मेरा तिरंगा
खुशहाली का अभाव न हो।
रचूँ नवगीत नव छंद
कंठ में भर दो लय स्वर,
हरूँ हर मन का विषाद
शिवमय हो अक्षर-अक्षर।
जलाऊँ सत्य की ज्योति
करूँ सुपथ का संधान,
ज्ञान, कला, संगीत की निधि
माँ भारती दे दो वरदान।
हे! शारदे माँ हे! शारदे माँ
हंसवाहिनी वीणापाणि,
हे! वागीश्वरी आशीष दे माँ
लेखनी मेरी सँवार दे माँ।