तुमने क्या ट्रेन की जंजीर खींची है!
घने जंगल में ट्रेन
तुम्हारा इंतजार कर रही है।
आ भी जाओ
वक़्त गुज़र रहा है
ऊपर की टहनी में
रात काजल की झालर बाँध रही है
आओ भी...!
तुमने क्या ट्रेन की जंजीर खींची है!
घने जंगल में ट्रेन
तुम्हारा इंतजार कर रही है।
आ भी जाओ
वक़्त गुज़र रहा है
ऊपर की टहनी में
रात काजल की झालर बाँध रही है
आओ भी...!