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वक्त के साथ (कविता) / पूर्णिमा वर्मन

वक्त के साथ
सब कुछ बदल जाता है
जगह, चेहरे, सोच
और रिश्ते।
बेमानी हो जाते हैं शब्द¸
चक्रव्यूह से घिर जाती हैं
भीष्म प्रतिज्ञाएँ।

वक्त शिल्पी की तरह
दीवारों पर
खुद उकेरता है
इतिहास।

हम सिर्फ़ देखते हैं
दर्शक की तरह।
और रूपांतर करते हैं
अपनी-अपनी भाषाओं में।

रूपांतर – शब्दों के
रूपांतर – प्रतिज्ञाओं के
जगह, चेहरे, सोच
और रिश्तों के।