करूँ वंदना वीणा वादिनि
अनुपम तेरे ज्ञान की॥
रुनझुन रुनझुन किंकिनि के स्वर
लिखे काव्य के सुंदर अक्षर,
जल - बूँदों सी झरती झर झर
माँ तेरी करुणा शुभ सत्वर।
बहुत सुनी है विरद तुम्हारे
हाथ दिए इस दान की।
करूँ वन्दना वीणावादिनि
अनुपम तेरे ज्ञान की॥
हंसवाहिनी हंस तुम्हारा
सभी वाहनों से है न्यारा ,
इसके कोमल मृदुल परों में
भरा भाव का ही भंडारा।
गा न सकूँ माँ महिमा तेरी
ज्ञान मान विज्ञान की।
करूँ वन्दना वीणावादिनि
अनुपम तेरे ज्ञान की॥