कूद-कूद मेंढक भैया ने,
कविता एक सुनाई।
टर्र-टर्र बस टर्र-टर्र की,
ही ध्वनि पड़ी सुनाई।
गुस्से के मारे दर्शक सब,
जोरों से चिल्लाये।
मेंढक भैया गए मंच से,
ताबड़ तोड़ भगाए।
तभी बहन कोयल ने आकर,
हँसकर मंच संभाला।
शक्कर जैसे पगे कंठ से,
मीठा गीत निकाला।
उसके मीठे शहद सरीखे,
बोल सभी को भाये।
सारे दर्शक ज़ोर-जोर से,
वन्स मोर चिल्लाये।