चले जाने के निशानों के सिवा
और कुछ भी नहीं था वहाँ,
वहाँ इतना अधिक वर्तमान था
कि और किसी दूसरी चीज़ की न तो
अब ज़रूरत थी और न जगह
सब कुछ जा चुका था वहाँ से
था केवल प्रस्थान-प्रस्थान
प्रस्थान.....
और दूर तक फैला था समुद्र-सा
अपार वर्तमान !
चले जाने के निशानों के सिवा
और कुछ भी नहीं था वहाँ,
वहाँ इतना अधिक वर्तमान था
कि और किसी दूसरी चीज़ की न तो
अब ज़रूरत थी और न जगह
सब कुछ जा चुका था वहाँ से
था केवल प्रस्थान-प्रस्थान
प्रस्थान.....
और दूर तक फैला था समुद्र-सा
अपार वर्तमान !