अक्सर
अपने छोटे-से
बच्चे को देखते ही
ऐसे छुपा लेने को
जी चाहता है, कि
उसे जिंदगी की
गर्म/सर्द हवाएँ
छू भी न पाएँ...
उसके जीवन में आने वाले
अनदेखे दुखों की कल्पना से भी
डर जाती हूँ, और
अनायास ही/मेरा रोम-रोम
उसके लिए अनगिनत
दुआएँ मनाने लगता है!
उसकी आँख का एक छोटा-सा आँसू
मेरे जीवन में
हलचल मचाने के लिए
पर्याप्त है…
उसके नन्हें-नन्हें
हाथ-पैरों को
बेतहाशा चूमते-चूमते
यह भूल जाती हूँ,
कि
कभी मेरी माँ भी
मेरे लिए ऐसे ही डरती होगी
माँगती होगी ऐसे ही
अनगिनत दुआएँ, पर
सच तो यही है कि
अपने जीवन का युद्ध तो
सबको स्वयं ही लड़ना पड़ता है।