आज छायी है घटा
काली घटा !
महीनों की
तपन के बाद
अहर्निश
तन-जलन के बाद
हवाओं से लिपट
लहरा उठा
ऊमस भरा वातावरण-आँचर !
किसी ने
डाल दी तन पर
सलेटी बादलों की
रेशमी चादर !
मोह लेती है छटा,
मोद देती है घटा,
काली घटा !
आज छायी है घटा
काली घटा !
महीनों की
तपन के बाद
अहर्निश
तन-जलन के बाद
हवाओं से लिपट
लहरा उठा
ऊमस भरा वातावरण-आँचर !
किसी ने
डाल दी तन पर
सलेटी बादलों की
रेशमी चादर !
मोह लेती है छटा,
मोद देती है घटा,
काली घटा !