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वर्षा ऋतु के ऐला पर / मुकेश कुमार यादव

वर्षा ऋतु के ऐला पर।
चिड़याँ उड़ै पसारी पर।
कौवा-कोयल-बुलबुल-तोता
खोजे लागलै आपनो खोता।
सांप-छुछुंदर-चुहा मिल।
बनाबे लागलै अलगे बिल।
दादुर-मेढक केरो तान।
टर्र-टर्र सुबह-शाम।
वन-उपवन में नाचै मोर।
बच्चा करै, गाँव में शोर।
उछल-कूद करै, गिलहरी।
तितली लागै, सोनपरी।
बीजली चमकै, चम-चम।
नाचै मन छम-छम।
ठंडा पानी पैला पर।
वर्षा ऋतु के ऐला पर।