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वर्षा ऋतु जब ऐतै / मुकेश कुमार यादव

गरम-गरम नरम धूप।
सुखाय छै हरा दूब।
नदी-ताल।
अगला साल।
पानी से भरी जैतै।
वर्षा ऋतु जब ऐतै।
धूल से भरलो सड़क।
लावा रंग गरम।
ईमली रो पेड़।
धानो खेतो रो मेड़।
कीचड़ में सनी जैतै।
वर्षा ऋतु जब ऐतै।
नदी रो किनारा।
पेड़-पौधा हरा-भरा।
गांव-गांव इनारा।
पनघट प्यारा।
न्यारा बनी जैतै।
वर्षा ऋतु जब ऐतै।
किसान
छेलै आभीतक परेशान।
गर्मी से हैरान।
चेहरा पर मुस्कान।
लौटी जैतै।
वर्षा ऋतु जब ऐतै।
पक्षी
कीट-पतंग भक्षी।
झुण्ड रो झुण्ड।
जिंदा छेलै।
चोराय-नुकाय।
कांही घुसयाय।
देखाय पड़ी जैतै।
वर्षा ऋतु जब ऐतै।
गर्मी
आपनो बेशर्मी।
हवा रो नरमी।
पानी रो कमी।
परती ज़मीं।
सबकुछ भुलाय जैतै।
वर्षा ऋतु जब ऐतै।