वर्ष / मूसा जलील / अनिल जनविजय

वर्ष और वर्ष और वर्ष
पहुँचे तुम मेरे निकट
अपने स्नेहिल हाथों से सहलाया मुझे
नर्म हिम जैसे प्रेम से बहलाया मुझे
आए मेरे बालों को करने सफ़ेद

झुर्रियों के रूप में तुमने
छोड़े अपने पदचिन्ह
मेरे चेहरे पर बिछा है जिनका जाल
बूढ़ा हो गया हूँ मैं
बदल गया है पूरी तरह से मेरा हाल

मैं नाराज़ नहीं हूँ
कि तुमने मुझसे ले लिया
मेरा सारा जोश और उत्ताप
और बदले में दिया मुझे
दुख और सन्ताप

ख़ुश हूँ मैं
कि तुम अब भी आते हो
मेरा मन बहलाते हो
मुझे अपने हाथों से सहलाते हो
करते हो मुझसे वैसा ही प्रेम

रूसी से भाषान्तर : अनिल जनविजय

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