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वसंत / ऋतुराग / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

1.

ऐलै वसंत
होतै दुखोॅ के अंत
आबी जा कंत।

2.

वसंत रंग
प्रीतम के छै संग
फेरू की भंग।

3.

वसंती हवा
आँचल लहरावै
प्रीत जगावै।

4.

चन्दन वन
वसंत ही घूमै छै
रे, की खोजै छै।

5.

आमोॅ के ठारी
बैठलौ छै वसंत
झुलावै हवा।

6.

वसंत गावै
रिझावै वाला सुर
छन्द ही छन्द।

7.

वसंत के ई
मदमस्त महीना
पीर हरोॅ ना।

8.

गोरी के मुँह
चूमी रैल्होॅ छै हवा
ऐलै वसंत।

9.

वसंत रंग
उमंग छै उमंग
बाजै मृदंग।

10.

चैती बयार
छै रंगोॅ के फुहार
यौवन भार।

11.

फागुनी साँझ
पथ निहारै गोरी
कागा नै ऐलै।

12.

वसंती रंग
लाल-लाल गुलाल
कहाँ छोॅ पिया?

13.

रंग बरसै
भींगै लेली तरसै
गोरी हरसै।

14.

हुनकोॅ याद
कैन्होॅ सूनापन छै
दुखी मन छै।

15.

महुआ पीबी
झूमै छै वसंत
हवा के रंथ।

16.

वसंत कृपा
बौरेलोॅ छै मंजर
तर-ऊपर।

17.

कुसुम रंग
लहँगा पिन्ही नाचै
वसंत-प्रिया।

18.

वसंत राजा
महुआ लेॅ, सूती जा
हवा में नै जा।

19.

सजनी कहै
कुसुम रंग लावोॅ
अंग सजावोॅ।

20.

वसंत छेकै
आशा, जीव जिज्ञासा
प्रेम पिपासा।

21.

फागुनी भोर
झकझक इंजोर
ओर नै छोर।

22.

रास रचावै
वसंत संग तारा
नाचै छै चाँद।

23.

हे, रे फागुन
तोरा सें की कहियो
पिया लानी देॅ।

24.

मुस्कै छै गोरी
वसंत खेलै होरी
रंग चपोरी।

25.

तीसी फूलोॅ पेॅ
पीरोॅ फूल गोटोॅ पेॅ
नाचै वसंत।

26.

पछुआ हवा
हट्टोॅ-हट्टोॅ नै हुओॅ
शिशु वसंत।

27.

गली सें गली
मौसम के ठिठोली
होली के बोली।

28.

फागुन मास
वसंत के सुवास
हास-विलास।

29.

हवा बजाबै
पत्ता के पैंजनी
वसंत ऐलै।

30.

मदमातली
जूही गेंदा चमेली
खेलै छै होली।

31.

केशर क्यारी
बूलै चिकनाधारी
वसंत प्यारी।

32.

मदन मन
हाँसै लाल पलास
पिया नै पास।

33.

पी-पी कहि केॅ
पिकवैनी थिरकै
अंग लहकै।

34.

जी तरसै
केकरा देवै रंग
पिया नै संग।

35.

फागुन छेकै
पिया, रंग-महीना
अंग लगोॅ ना।

36.

छोड़ोॅ प्रीतम
ई झूट्ठेॅ के झगड़ा
फागुन छेकै।

37.

विरह दुख
चकवा-चकई के
कानै छै रात।

38.

हे ऋतुराज
सच्चे पावी केॅ तोरा
धन्य छी हम्में।

39.

गावै छै पिकी
पंचम स्वर-गान
साँझ-विहान।

40.

चंदनी गंध
फूल गाछी में भौंरा
छै उमतैलोॅ।

41.

कुसुम ठारी
बौर-बौर भौंरा छै
रस चूसै छै।

42.

खुशी सें झूलै
सुगंध सें भरलोॅ
पत्ता के देह।

43.

दर्दीला स्वर
मोती भरलोॅ सीपी
पपीहा पी-पी।

44.

आमोॅ के बौर
पत्ता बैठलोॅ भौंर
कहाँ छै ठौर।

45.

बंशी बजाबै
नाची-नाची भौरा
वसंत छौड़ा।

46.

सिहरै देह
बेरथ ई वसंत
कानै छै नेह।

47.

देखी केॅ मेह
कानै-कानै छै नेह
सूनोॅ छै गेह।

48.

डारी पेॅ डोलै
कारी कोयल बोलै
जिया केॅ खोलै।

49.

कारी नागिन
ठारी-ठारी बूलै छै
निर्मोही पिया।

50.

ज्ञानोॅ के भास
जीवन रोॅ उल्लास
वसंतेॅ पास।

51.

चैतोॅ में कंत
ऋतु में वसंत
प्यारोॅ लागै छै।

52.

भाव संचारी
छै काम रूपधारी
प्रेम पुजारी।

53.

वसंतें दै छै
प्रणय अनुभूति
डूबोॅ जी भरी।

54.

धरा दुकूल
भरलोॅ माघी फूल
मिलै के हूल।

55.

खेतोॅ में वसंत
किसान नांकि घूमै
आरी पेॅ झूमै।

56.

गाँव-गाँव में
द्वारी-द्वारी दस्तक
दै छै वसंत।

57.

वसंतोत्सव
प्रणय के उत्सव
प्रेम केॅ पूजोॅ।

58.

रात बजै छै
जेना वीणा के तार
मद झंकार।

59.

स्नेह स्पर्श सें
भींगलोॅ छै वसंत
शीतोॅ के लोर।

60.

कोयल कूकै
सुनावै प्रेम कथा
राजा-रानी के।

61.

वसंत नाचै
गीत में, संगीत में
छंद, फूल में।

62.

वसंती साँझ
मृदु मंद बयार
रंग बौछार।