मैं हंस क्या लिया दो घड़ी वही बात हो गई
कुछ पल की रोशनी थी फिर रात हो गई
आखों की बूंदें देखिये लबोंं से जा मिलीं
तो यूँ लगा अपनो से मुलाकात हो गई
मैंने कही हवाओं से हर बात प्यार की
महबूब तक पहुची वो जब सौगात हो गई
देखा मुझे की चेहरे पर मुस्कान खिल गई
छोटी सी वह हँसी ही कायनात हो गई
अपनी कहानी बादलों से कह गया "पथिक"
न जाने क्या हुआ कि फिर बरसात हो गई