Last modified on 8 फ़रवरी 2010, at 01:01

वही है / अशोक वाजपेयी

वही है
और कौन हो सकता है-
प्रार्थना के पहले शब्द की तरह पवित्र,
हरी पत्ती के कम्पन की तरह ताज़ा,
अज्ञातनाम चिड़िया की तरह रंगारंग,
इस एकान्त की तरह उद्दात,
हलकी ठंड में गरमाहट की तरह काम्य -
वही है
और कौन हो सकता है?