जो मेरी धरा और वितान
वही है मेरा हिंदुस्तान
बालपन का वह मेरा गांव
जहाँ रहती बरगद की छांव
जहाँ पर लहराते हैं खेत
जहाँ चंदन जैसी है रेत
जहाँ सावन में गाते गीत
रोपते हैं मिलजुलकर धान
जहाँ नगपति-सा उन्नत भाल
सिंधु पदतल में भरे उबाल
जहाँ कोमल वाणी सतप्रीत
जहाँ पर शंख ध्वनी, संगीत
जहाँ पर है दधीचि का त्याग
प्राप्त है विश्व गुरु का मान
जहाँ संतों का है संदेश
भारती-गंग-यमुन का देश
जहाँ ग़ज़लों में ग़ालिब-मीर
जहाँ दोहों में अमर कबीर
जहाँ भक्तों में तुलसी-सूर
कृष्ण के भक्त जहाँ रसखान
शिवाजी, राणा-सा इतिहास
बुद्ध-नानक का ज्ञान-उजास
जहाँ जन-जन में समता-प्यार
जगत को जो माने परिवार
पिता-माता हैं देव स्वरूप
जहाँ कण-कण बसते भगवान