वह एक प्रार्थना थी
जिस में हम जुड़ कर
अँजुलि हो गये
समर्पित उन कमलों से भरी
खिले थे जो
हमारे प्यार के जल में।
तुम नहीं हो अब
जागती है किन्तु मुझ में
प्रार्थना की धुन-
मेरे उजड़े हुए आकाश को
गुँजार कराती हुई
(1981)
वह एक प्रार्थना थी
जिस में हम जुड़ कर
अँजुलि हो गये
समर्पित उन कमलों से भरी
खिले थे जो
हमारे प्यार के जल में।
तुम नहीं हो अब
जागती है किन्तु मुझ में
प्रार्थना की धुन-
मेरे उजड़े हुए आकाश को
गुँजार कराती हुई
(1981)