वह क्या है
जो थकान में नहीं है कभी भी
सूर्य, पृथ्वी, कवि या बच्चा?
गर्भवती स्त्री से न पूछो इस बाबत कुछ भी
काँप सकती है वह
जैसे दो सिरों पर बँधी रस्सी काँपती है
समाज-सुधारकों के डर से।
वह क्या है
जो थकान में नहीं है कभी भी
सूर्य, पृथ्वी, कवि या बच्चा?
गर्भवती स्त्री से न पूछो इस बाबत कुछ भी
काँप सकती है वह
जैसे दो सिरों पर बँधी रस्सी काँपती है
समाज-सुधारकों के डर से।