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वह गाँव खो गया / ऋषभ देव शर्मा

पी मन का सब अँधेरे ले, वह गाँव खो गया
आँसू सभी सकेर ले, वह गाँव खो गया

बाँहों के घेरे तो मिले, यारों के शहर में
चाहों में हमें घेर ले, वह गाँव खो गया

यह ठीक है की अब हमें, बँगले पुकारते
बटिया में कभी टेर ले, वह गाँव खो गया

आँखों ने आँखों-आँखों में, आँखें विवश करीं
चितवन को भय से फेर ले, वह गाँव खो गया

पहरे बैठा दिए गए विधि औ निषेध के
घूँघट से निक तरेर ले, वह गाँव खो गया

स्पर्शों की गुदगुदी मिली, चुंबन की आँच भी
तिनके से तन उकेर ले, वह गाँव खो गया

गजरे लूटा के चौक में, बैठा है इक फकीर
जो यह बचा कनेर ले, वह गाँव खो गया