यह हाथ किसका है
बार-बार मेरी जेब में उतरता हुआ
मुट्ठियाँ बन्धते-बन्धते खुली रह जाती हैं
दाँत भिंचना चाहते हैं पर जीभ बीच में फँस जाती है
यह हाथ अक्सर मेरे कमरे में तैरता है
मेरे और मेरी बीवी के बीच आ जाता है
हम साथ होकर भी करवटें बदलते रह जाते हैं
बेटा माँगता है नए कपड़े, जूते, साईकिल
मेरी कलाइयों पर हथकड़ी की तरह बन्ध जाता है यह हाथ
एक दिन वह बड़ा होगा
उसे भी नज़र आएँगे ये हाथ
बेवजह बिस्तर से किचेन तक दख़ल देते हुए
मैं चुप हूँ, शायद वह चुप न रह सके !