कनेर के उन फूलों पर
तुम्हारी अंगुलियों का
वह सकुचाया-सा स्पर्श
मिटा नहीं
अनंतजीवी हो उठा
हर कनेर पर
वह हल्की छुअन
मुझे लिखी मिली है …
कनेर के उन फूलों पर
तुम्हारी अंगुलियों का
वह सकुचाया-सा स्पर्श
मिटा नहीं
अनंतजीवी हो उठा
हर कनेर पर
वह हल्की छुअन
मुझे लिखी मिली है …