Last modified on 16 जनवरी 2009, at 03:45

वह जो / लीलाधर मंडलोई

वह जो हँस रही है
ऎन चौराहे पे
लोक-लाज से परे

कल तक उसके स्वर
गूँजते थे
मंदिर की आरती में