पथ पर नहीं
वह मेरे घर तोड़ती है पत्थर
हफ्ते भर पहले उसकी बहू मरी है
घबराई हुई है कि
बिना बतलाए नहीं आई हफ्ते भर
नज़रें झुकी हैं
गायब है आवाज़
घंटे भर से झाड़ू पोछा लगाती
तोड़ रही पत्थर दर पत्थर।
पथ पर नहीं
वह मेरे घर तोड़ती है पत्थर
हफ्ते भर पहले उसकी बहू मरी है
घबराई हुई है कि
बिना बतलाए नहीं आई हफ्ते भर
नज़रें झुकी हैं
गायब है आवाज़
घंटे भर से झाड़ू पोछा लगाती
तोड़ रही पत्थर दर पत्थर।